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हिंदी दिवस की कविताएं


कविता --साहित्य की धारा


 कल कल कर बहती धारा,
 कहीं नहीं है इसका किनारा,

 हर लहरों पर मौजों का अनंत प्रवाह
 है इसके भीतर खजाना अथाह

 कविता ,छंद क्षणिका, दोहे हो या गजल 
चौपाइयां, गीत, भजन ,सब में यह  प्रबल

कहानियों में  एक नई दुनिया बसती 
उस  दुनिया में नई जिंदगी सजती

अनंत प्रवाह लिए बढ़ती जाए 
कल कल कर साहित्य की नदिया बहती जाए..!

***
सीमा...✍️🌷
©®
#हिन्दी दिवस प्रतियोगिता

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6 Comments

Wahhh अद्भुत अद्भुत

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Swati chourasia

20-Sep-2022 08:01 PM

बहुत खूब 👌

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Kavita Jha

18-Sep-2022 08:46 AM

वाह अद्भुत ✍️✍️

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